4 Liner Shayaris
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चटक जाती हैं घड़ी मगर
वक़्त फिर भी रुकता नहीं।
चाँद खूबसूरत हो तो देख लो उसे
रोज़-रोज़ वो ऐसा दीखता नहीं।
ऐ खूबसूरत चाँद तू कर ले घमंड,
नहीं बेर मुझे - तेरे चाहने वाले तारे कितने हैं।
हम रोज़ ताँके तुझे, करे आँखों से सम्बन्ध,
गिनती पता हैं तुझे? - रोज़ गिरते ऐसे तारे कितने हैं।
समुन्दर से दिल लगा बैठे हैं लेकिन
अब दूर से ही इसकी लहरें देखेंगे,
जो तेरे खारे पानी में उतरे तो फिर
ज़ख्मों पर नमक लगेंगे !
साथ पे तुम्हारे
किताब लिखने का इरादा था
गर तुम तो
८ (8) पंक्ति की कविता भी न बन सकी !
तुझे रोज़ लिखूंगा मैं
कलम न सही, दबी जुबां से
तू किरदार तो प्यारा ही है
फर्क नहीं, कहानी के अंजाम से
ग़ज़ल तेरी आँखों पर लिखनी है मुझे
मतला तेरे काजल से लूंगा
इरशाद तो मेरा इश्क़ दे देगा
वाह मैं तेरी वफ़ा से लूंगा !